VISION
प्राकृत भाषाएँ मध्यकालीन भारत में बोली जाने वाली भाषाओं का एक समूह थीं। ये भाषाएँ संस्कृत से विकसित हुईं, लेकिन व्याकरण और ध्वनि विज्ञान में सरलीकरण दर्शाती हैं। अशोक के शिलालेखों में प्राकृत का प्राचीनतम रूप मिलता है। बौद्ध और जैन धर्म के धार्मिक ग्रंथों में प्राकृत का व्यापक प्रयोग हुआ है, जैसे कि पाली, अर्धमागधी और शौरसेनी। इन भाषाओं ने आम लोगों तक धर्म और साहित्य को पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बाद में, अपभ्रंश जैसी प्राकृतों से आधुनिक भारतीय भाषाओं का विकास हुआ। प्राकृत भाषाएँ भारतीय भाषाई इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
MISSION
यह अत्यंत महत्वपूर्ण और ज्ञानवर्धक वेबसाइट है जो प्राकृत भाषा के संरक्षण और प्रचार में सराहनीय योगदान दे रही है। यहाँ प्राकृत साहित्य, व्याकरण और शोध सामग्री की समृद्ध संग्रहणीयता देखने को मिलती है। विद्यार्थी, शोधार्थी और भाषा-प्रेमी सभी के लिए यह एक अमूल्य संसाधन है। इसकी सरल डिजाइन और सुगम नेविगेशन इसे और भी उपयोगी बनाते हैं।
अभय शाह

शब्दशाला
शब्दों का अद्भुत संसार
प्राकृत भाषा का महत्व: क्यों सीखें और जानें ?
आज के आधुनिक युग में, जब दुनिया तेज़ी से बदल रही है, किसी प्राचीन...
प्राकृत भाषा: एक प्राचीन खजाना
प्राकृत भाषा, भारतीय उपमहाद्वीप की एक महत्वपूर्ण भाषा रही है। यह कोई एक अकेली...
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